मेरे जेठ ने मुझे दबा कर पेला

 हेलो दोस्तों मेरा नाम सोनाक्षी है मै राजस्थान की रहने वाली हु  मेरी शादी पिछले साल जून में हुई थी और मेरा पति जॉब करता है मै भी गवर्मेंट जॉब की तैयारी करती हु  जब मेरी शादी हुई तो सभी ने मेरी शरना की की मै बहुत सुंदर हु जब से घर में शादी करके आई तब से मेरे जेठ मुझे कुछ नजरों से देखते थे

 हमेशा मुझे कुछ न कुछ लाकर देते रहते थे  कुछ दिन बाद मुझे अभी अच्छा लगने लगा था और मुझे पता भी चल गया था कि मेरे साथ कुछ तो होने वाला है क्योंकि मेरी जेठानी ज्यादा सुन्दर नहीं है और मेरा पति भी मुझे ज्यादा खुश नहीं कर सकता मेरे अंदर वैसे भी आग लगी हुई थी मै भी सोच रही थी 

मुझे भी जोरदार चोदने वाला मिल जाए क्या पता मेरी भी प्यास बुझ जाए   और फिर ऐसा ही हुआ मेरे जेठ मुझे एक दिन बोले सोनाक्षी तुम बहुत सेक्सी और हॉट हो यार 

मैने पहली  बार तो बोला कि ये आप क्या बोल रहे हो  फिर वो बोले मुझे पता है कि तुम खुश नहीं हो उससे ज्यादा मै सब जनता हु 

तब मैं नजरें झुका कर खड़ी रही और वो बोले- तुम चाहो तो आज सारी कमी पूरी कर देता हूं।

मैं और भी ज्यादा पानी पानी हो गई.

जेठ जी सब कुछ समझ गए और मेरा हाथ छोड़ दिया।

मैं अब कन्फ्यूज थी कि अपने रूम में जाऊं या जेठ जी को बांहों में भर लूं.

तो मैं धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी.

जेठ जी पीछे से आए और पकड़ लिया मेरी कमर को!

“हाय … कोई तो रोक लो!”

मेरी गर्दन पर बालों को हटाते हुए जेठ जी ने एक किस किया.

“हाय … मैं तो शर्म से मर जाऊंगी आज!”

उन्होंने मेरी पीठ पर किस किया और फिर कमर पर!

फिर हाथ आगे करके मेरे संतरो को पीछे से पकड़ लिया.

“आह … जेठ जी … प्लीज छोड़ दीजिए ना!”

जेठ जी ने ब्लाउज का हुक खोला और मेरे सहलाने लगे

फिर जेठ जी ने मुझे अपनी तरफ घुमाया, मेरे चेहरे को ऊपर किया और होंठों पर उंगली फिरते हुए गर्दन को पकड़ कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

वे मेरे निचले होंठ को अपने मुंह से चूसने लगे.

सच में आज पता चला कि कितने रोमांटिक है जेठ जी!

करीब 10 मिनट किसिंग के बाद वे मेरी गर्दन से अपने होंठों को ले जाते हुए मेरे दूध को चूसने लगे।

जेठ जी दोनों हाथों से मेरे दोनों कंधों को पकड़ कर मेरे दूध को चूस रहे थे.

और मैं तो जैसे अंदर से टूटती जा रही थी.

मेरी गुफा चुहक चूहक करने लगी और अंदर से गीली हो गयी।

“ मेरे अंदर आग सी लग रही थी.

जेठ जी ने मुझे पूरी नं*गी किया और अपनी गोद में उठाकर ले जाने लगे.

बेडरूम के अंदर सच में क्या सीन था वो!

उन्होंने मुझे बेड पर पटका और जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतार लिए.

मैंने देखा मोटा काला सा सामान जेठ जी का!

आज मैं इसी से ठुकने वाली थी।

जेठ जी ने मुझे कस के अपनी बांहों में जकड़ लिया और किस करने लगे.

फिर मुझे बिठाया और अपना सामान मेरे सामने रख दिया।

मैं सोच रही थी कि क्या करूं इसका! मैं बस आंखे फाड़ कर देख रही थी.

फिर मैंने उसे अपने हाथ में पकड़ा।

जेठ जी ने बोला- डार्लिंग, इसे मुंह में लो!

अभी तक तो मैंने अपने पति का भी मुंह में नहीं लिया था.

मैं सोच ही रही थी कि जेठ जी ने मुंह को पकड़ कर अंदर डाल दिया।

जेठ जी मेरे बालों को पकड़कर मुंह में अंदर बाहर करने लगे।

मेरे गले में गहराई तक जा रहा था और मेरे मुंह लार सी निकालने लगी.

जेठ जी बोले- तुझे तो चूसना नहीं आता! पता नहीं अभी तक ठुकाई भी हुई या नहीं तेरी? मैं चुप रही.

जेठ जी ने मुझे लिटाया और मेरी दोनों टांगों को जहाँ तक हो सकता फैला दिया.

हाय … आगे का सीन सोच कर ही सिहरन होने लगी मेरे पूरे शरीर में!

जेठ जी ने मेरी गुफा के होंठों को हाथ से अलग किया और मुंह रख दिया गुफा पर!

मैंने तो हिचक के गुफा को अंदर दबा लिया और मेरी टांगें आगे की ओर आ गई और जेठ जी मेरी टांगों के बीच दब गए।

जेठ जी ने फिर टांगों को जोर से अलग करके पकड़ लिया और गु*फा में अपनी जीभ घुसा दी।

मैंने जोर से बेड पर अपना हाथ और सिर पटका.

अजीब सा मजा था!

जेठ जी पागलों की तरह चूस रहे थे मेरी

मैंने उत्तेजना से बेड को कस के पकड़ लिया.

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था।

जेठ जी को पता नहीं क्या मजा आ रहा था … मेरी गु*फा से मुंह हटा ही नहीं रहे थे.

बहुत देर हो गई, मुझे लगा अब मर जाऊंगी मैं- जल्दी कर दीजिए जी

जेठ जी मेरी चाटते जा रहे थे और मैं मछली की तरह छटपटा रही थी।

उन्हें मुझ पर जरा भी दया नहीं आ रही थी.

और वैसे भी … दूसरे की बीवी पर कौन दया करता है!

मुझसे रहा नहीं गया.

“डाल दे अब!” मैंने कहा.

जेठ जी मुझसे अलग हो गए और अपने सामान को मेरे गु*फा पर अच्छे से टिकाया और फ़च्छाक से अंदर डाल दिया.

“ओह मां!”

जेठ जी ने फिर बाहर निकाला और फिर अंदर धकेला और पूरा मेरे अंदर जहाँ तक घुस सकता घुसा दिया.

मेरी तो बिल्कुल सांस रुक सी गई.

अब जेठ जी कभी अंदर करते … कभी बाहर!

इतनी जोर से धक्के मार रहे थे कि मेरी हिप पूरी अंदर बेड में धंस जाती.

और मैं हर धक्के में जोर से सिसकार उठती- ओह मां … 

मुझे कुछ बोलने की जरूरत ही नहीं पड़ती, मेरी तो ऐसे ही हालात खराब थी।

मैंने सिर्फ बोला- थोड़ा तेज करो ना प्लीज़!

जेठ जी ने सामान को बाहर निकाल लिया.

मैं सोचने लगी कि ‘रे बाबा अब क्या हुआ?’

लेकिन कुछ और होने वाला था!

जेठ जी ने मेरे दोनों पैर अपनी कमर पर फंसा कर रखे और गु*फा में सामान को घुसाया।

फिर उन्होंने मुझे इस पोजीशन में अपने गोद में उठा लिया.

और फिर लगे फचाफच करने ! मुझे ऊपर की ओर उछाल उछाल कर!

मेरे दोनों दूध हवा में उछलने लगे।

मैंने अपने दोनों हाथ उनके कंधे पर रखे हुए थे और उनका सामान मेरे गु*फा की दीवारों पर रगड़ खाते हुए अंदर बाहर हो रहा था.

उसके काफी देर बाद उन्होंने मेरी गुफा में अपना रस बरसा दिया और मुझे दबोच कर बिस्तर पर लेट गए.

कुछ ही देर में हम सो गए.


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