अपने भाई से सील पैक चूत की ठुकाई करवाई पहली बार
अपने भाई से सील पैक चूत चटवाई और उसके लन्ड को गले तक घुसा चूसा सील तुड़वा बैठी
मेरा नाम प्रिया वर्मा है, मैं मध्य प्रदेश से हूँ. अभी मेरी उम्र 23 साल हो गयी है. मेरा फिगर 32-28-34 का है. मैं एक मेडिकल की स्टूडेंट हूँ.
मैंने पहली बार खुदाई अपने जीवन के उन्नीसवें साल में कर लिया था. तब मैं 12वीं क्लास में थी. उसके बाद से मुझे खुदाई से बहुत ज्यादा लगाव हो गया था और अब तक मैं अनेकों लोगों से खुद चुकी हूं.
यह मेरी पहली बार की हिंदी खुदाई स्टोरी है.
हमारे एग्जाम हो चुके थे. गर्मी की छुट्टियां आरम्भ हो चुकी थीं. इस बार शुभम, जो मेरी बुआ का बेटा है, छुट्टियां मनाने गुजरात से हमारे घर आया था.
शुभम उम्र में मुझसे 3 साल बड़ा था, और काफी हैंडसम भी था. लेकिन मेरी गु#फा की सील मेरा भाई शुभम तोड़ेगा, ये मुझे पता नहीं था.
जिस दिन वह मेरे घर आया, उस दिन तो हमने ज्यादा बात नहीं की, लेकिन दूसरे दिन हम दोनों ने दुनिया भर की सारी बातें शेयर की. खूब देर तक हम दोनों एक दूसरे से हर विषय पर बात करते रहे. मुझे उससे बात करना बड़ा पसंद आ रहा था.
रात को खाने के बाद हम दोनों छत पर बैठे थे. उस वक्त रात के 10 बज रहे थे. हम दोनों मूवीज़ के बारे में बात कर रहे थे. मैं सारी रोमांटिक फिल्मों के नाम बता रही थी और शुभम सारी ऐसी फिल्मों के नाम बता रहा था, जिसमें स्टोरी कम और खुदाई सीन ज्यादा थे.
वैसे तो मैंने उनमें से बहुत सी फ़िल्में देखी थीं, लेकिन शुभम से झूठ कहती रही कि नहीं वो मैंने नहीं देखी.
लेकिन उन फिल्मों के सीन याद करके मेरी गुफा से पानी आने लगा था. ऊपर से शुभम उन फिल्मों के खुदाई सीन की बड़ी विस्तार से चर्चा करके मेरी आग को और भी ज्यादा भड़का रहा था.
तभी मैंने यह कहकर बात घुमा दी कि तुम पढ़ाई भी करते हो या सिर्फ ऐसी फिल्में ही देखते रहते हो?
वह शर्माते हुए कहने लगा- नहीं यार मैं तो बस संडे को ही देख लेता हूं. वो भी हर संडे नहीं, कभी कभी.
मैंने कहा- हर संडे जाते भी होगे, तो मुझे कौन सा मालूम चलने वाला है.
वो हंस दिया और उसका हाथ उसके लोअर के उस भाग पर चला गया, जहां मेरे मतलब की चीज थी. उसके ऐसा करने से मेरा ध्यान शुभम के लोवर पर गया. उसका खिलौना भी खड़ा हो चुका था और शुभम बार बार लोवर ठीक कर रहा था.
मैं सर दूसरी तरफ कर के मुस्कुराने लगी और मैंने कहा- चलो यार … नीचे चलते हैं … काफी देर हो गई … अब सोने का वक़्त हो गया है.
उसने कहा- मैं तो 2 बजे से पहले नहीं सोता.
मैंने कहा- क्या करते रहते हो इतनी देर तक?
शुभम ने कहा- बस … उससे पहले नींद ही नहीं आती.
मैंने कहा- मैं समझ गयी, जरूर तुम उस वक्त तक वैसी वाली फिल्में देखते होगे.
मैंने डीप नेक वाली टी-शर्ट पहन रखी थी, जिससे मेरी क्लीवेज नजर आ रही थी. मैंने नोटिस किया कि शुभम मेरे मम्मों को देखने की कोशिश कर रहा था.
उसके फूलते औजार को देख कर मेरी गुफा में खुजली शुरू हो गई थी. मैं सोचने लगी कि क्यों न शुभम के साथ कुछ मस्ती की जाए. इस वक्त तक मेरे मन में खुदाई की मंशा नहीं जगी थी.
मैंने मस्ती करने के इरादे से अपनी टी-शर्ट थोड़ी और नीचे कर दी, ये देख कर उसका औजार और खड़ा हो गया.
आंख मारते हुए मैंने उससे कहा- सम्हालो अपने शेर को.
शुभम ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने औजार यह कहते हुए रख दिया- तुम कोशिश कर लो.
उसके ऐसा करते ही मैं एकदम से सिहर गई. पहली बार मैंने किसी का औजार हाथ में पकड़ा था. मेरे पकड़ने से उसका मोटा औजार और बढ़ने लगा था.
उसने मेरी तरफ देख कर कहा- यार तुम तो पूरी जवान हो चुकी हो … एकाध बार मजा तो ले ही चुकी होगी.
मैंने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसके ये कहने से मुझे लगने लगा था कि आज शुभम के साथ खुदाई कर ही लेती हूँ.
फिर मैंने मुस्कुराते हुए उसके लोवर के अन्दर हाथ डाल दिया.
शुभम ने भी अपना हाथ मेरी टी-शर्ट में डाला और मेरे मम्मे दबाने लगा. मुझे मजा आने लगा और मेरी कामुकता बढ़ने लगी. शुभम मेरे और करीब आया औऱ मेरे होंठों पर किस करने लगा.
मैं भी उसे किस करने लगी, उसने अपना हाथ टी-शर्ट से निकाल कर मेरी कैपरी में डाल दिया.
शुभम ने अपना औजार बाहर निकाला और मुझसे चूसने को कहा. मैं भी झुक कर उसके मोटे औजार को अपने मुँह में लेने लगी. थोड़ी ही देर में उसका औजार मेरी लार से सन गया और मेरे मुँह ग्लप ग्लप की आवाज होने लगी.
शुभम बहुत जोश में आ गया. उसने मेरा सर पकड़ कर पूरा औजार मेरे मुँह में डाल दिया और मेरी नाक दबा दी. उसका औजार पूरा गले तक घुस गया था. इससे मैं साँस नहीं ले पा रही थी. मैंने एकदम से छटपटा कर उसकी पकड़ से खुद को छुड़ाया.
वो मुझे वासना भरी निगाहों से घूर रहा था. मैं भी उसको खूदासी निगाहों से देखने लगी थी.
शुभम ने मुझे उल्टा होने को कहा, लेकिन अभी मुझे उसका औजार और चूसना था. मुझे उसका मोटा औजार चूसने में मजा आने लगा था. उसकी मंशा को दरकिनार करते हुए मैंने फिर से उसके औ#जार को मुँह में भर लिया और अबकी बार उसकी गोटियों को सहलाते हुए औजार को पूरा गले तक लेकर चूसने लगी. जैसे ही वो मेरे मुँह में झटका देने का प्रयास करता, मैं उसकी एक गोली दबा देती … जिससे वो मेरे सर की पकड़ को ढीला कर देता.
पूरी तरह से औजार चूसने के बाद अब मुझे उससे अपनी गु#फा चटवानी थी. मैं बोलती, इसके पहले शुभम ने मुझे लिटा दिया और मेरी कैपरी और पेंटी दोनों साथ में उतार दी और मेरी टांगें फैला कर मेरी फूली न#गी गुफा चाटने लगा.
आह … पहली बार मेरी गुफा पर किसी की जीभ का एहसास पाते ही मैं एकदम से मस्त हो गई … सच में इस अहसास का क्या मस्त मजा था कि क्या कहूं.
शुभम मेरी पूरी गुफा पर अपनी जीभ फेर रहा था. वो अपनी जीभ से मेरी गुफा का पानी साफ कर रहा था. मुझे साथ में डर भी लग रहा था, कोई ऊपर न आ जाए … लेकिन गुफा चटाई के सुख के आगे और कुछ नहीं सूझ रहा था.
उसने मेरी गुफा फैलाते हुए कहा- यह तो अभी सील पैक है.
मैंने कहा- हां, मैं किसी मस्त औजार का इन्तजार कर रही थी.
शुभम मेरी गुफा में उंगली डालने की कोशिश करने लगा. दर्द की वजह से मेरे मुँह से आह निकलने लगी, उसने दो तीन बार उंगली डालने की कोशिश की, लेकिन दर्द की वजह से मैं ऊपर खिसक जाती थी.
मैंने कहा- सिर्फ चाटो, अभी मुझे तुमसे और गुफा चटवानी है.
वो पूरी तरह से पसर कर मेरी गुफा को ऊपर से नीचे तक चाटने लगा. मैं भी गाड हिला हिला कर उसकी जीभ से गुफा चटवाती रही.
फिर हम दोनों से सब्र नहीं हुआ अब आगे की कहानी पड़ने nekst लिखे दोस्तों और ....
दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आपका औजार मेरी गुफा के लिए खड़ा हो गया होगा. लेकिन मैं आपको इतनी जल्दी मिलने वाली नहीं हूँ. इसके लिए आपको मुझे बताना होगा कि आपको मेरी ठुकाई कैसी लगी
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