कुंवारी दीप्ति की सील तोड़ दिया
हेलो दोस्तों मेरा नाम राजवीर है और मैं राजस्थान का रहने वाला हु ये कहानी मेरी ओर मेरी gf दीप्ति की है मेरी gf बहुत हॉट और सेक्सी है जब भी मैं उसे देखता बस मन करता है कि चोद दूं पर क्या करूं ऐसा मौका नहीं मिलता था एक दिन ऐसा मौका मिल गया
मेरे घर पर कोई नहीं था और मैने उसे मिलने के लिए बुलाया और वो आ गई उसके आते ही जैसे ही उसको देखा मेरा लन्ड तो खड़ा हो गया
वैसे वो भी मुझे से चुदाना चाहती थी पर कभी खुल कर नहीं बोला मैने आज ठान रखा था कि आज उसको नहीं छोडूंगा
आज उसको चोदूं वो भी जोरदार आज उसकी सील तोड़नी चाहे कुछ भी हो
क्योंकि मुझे पता था कि वो सील पैक है क्योंकि उसका पहला bf ही मै था
वो आ गई हमने 🫂 किया और फिर चाय पी ओर कुछ देर बाते की
बातों बातों में मस्ती चढ़ गई पता ही नहीं चला और फिर हम किस करने लगे और मैने उसके ममो को दबाया और मजे लिए उसको भी आनंद आ रहा था ऐसे ही करते करते मैंने भी अपना पैंट खोल दिया और चड्डी भी.
वह मेरा देखते ही रह गई कि ओर सन रह गई और बोली इतना बड़ा और मोटा होता है!
मैंने कहा- पकड़ कर भी देख ले!
उसने मेरा हाथ से पकड़ा और कुछ देर बाद झुक कर पहले मेरे औजार का सुपारा खोला और उस पर अपनी गर्म जीभ लगाई.
मैंने कहा- और इंतजार नहीं होता, अपने मुँह में भर ले.
वह धीरे धीरे करके मेरा मुँह में भरने लगी, जिससे मेरी ‘ओह … की आवाज आने लगी.
मैं भी उसके मुँह को ठोकने लगा.
मैंने सोचा ये ऐसे ही चूसती गई, तो मैं इसके मुँह में झड़ जाऊंगा.
मैंने उसके मुँह से निकाल लिया और उसको गोद में उठा कर किस करने लगा.
फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी टाइट पजामी को पूरा निकाल दिया.
उसकी पैंटी को घुटने तक कर दिया.
फिर मैंने धीरे से उसकी फांक पर अपनी जीभ रखी तो वह तिलमिला उठी और ‘आह … करने लगी.
मैं उसकी गु*फा में अपना मुँह लगा कर चाटने लगा.
उसकी गु*फा की फांकों को उंगलियों से फैला कर अन्दर तक गु*फा में जीभ घुसा घुसा कर चाटने लगा.
वह तिलमिला रही थी और बोल रही थी- मर जाऊंगी मैं …!
मैंने उसकी यह बात सुन कर अब उसको ठोकने का निश्चय किया ताकि वह मेरे मुँह में न झड़ जाए.
मैंने उसकी पैंटी पूरी तरह उतार दिया और उसके ऊपर आ गया.
हम दोनों ने एक दूसरे को कसके पकड़ लिया था और किस करने लगे थे.
मैंने अपना सुपारा उसकी गुफा के मुहाने में रख दिया.
तो वह और जोर से किस करने लगी.
मैंने उसको रोका और बोला- तैयार हो जा ठुकने के लिए.
तब मैंने उसकी फैली हुई टांगों के बीच उसकी गु*फा में अपना रगड़ा और दीप्ति को जोर से हग करते हुए कहा- रेडी हो न!
वह बोली- हां, लेकिन धीरे डालना. मेरा फर्स्ट टाइम है न … तो मैं बहुत डर रही हूं.
मैंने कहा- हां वह मुझे समझ में आ रहा है कि तू कितना डर रही है .
वह हंस दी.
हम दोनों ने एक दूसरे को कसके हग किया और मैंने जोर से उसकी गु*फा में डाल दिया.
मेरा आधा अन्दर घुस गया और उसकी चीख निकल गई.
वह कसमसा कर बोली- आंह निकालो निकालो … मुझे दर्द हो रहा है.
मगर मैं कहां रहम करने वाला था.
मैंने उसको बोला- हां बस अभी निकालता हूँ.
उसे लगा कि मैं अब निकाल दूंगा लेकिन मैंने जैसे ही नीचे देखा, उसकी गुफा से खून निकल रहा था.
दीप्ति दर्द के मारे आंख बंद की हुई थी.
उसने नहीं देखा था कि उसकी गु*फा से खून निकल रहा है.
मैंने सुपारे तक बाहर निकाल कर दुगनी ताकत से फिर से डाल दिया.
वह दर्द के मारे गाली देने लगी- निकाल ना मेरी गु*फा से अपना .
मैं बोला- दो मिनट और सह ले मेरी बन्नो … फिर खुद ही बोलेगी कि पूरा डाल.
उसी समय मैंने उसकी टाइट गुफा में पूरी ताकत से डालना शुरू कर दिया.
दोस्तो, सच बता रहा हूँ कि उस वक्त मुझे बहुत मजा आ रहा था.
उसकी चिकनी टाइट गुफा में मेरा पूरी तनाव में लफ लफ करके तड़प रहा था.
उसकी गु*फा की गर्मी से मेरा सिक सा रहा था.
मैंने अब तेज तेज झटके देने शुरू कर दिए और पूरे कमरे में फट फट की आवाज आने लगी.
मैंने बहुत तेज तेज झटके देने शुरू किए और दीप्ति कराहती हुई मुझे कसके जकड़ी हुई थी और किस किए जा रही थी.
उसकी दर्द भरी आवाजें न जाने कहां बंद हो गई थीं.
कुछ देर बाद मैं थक गया तो दीप्ति अपना हिप उठा उठा कर ठुक रही थी.
मैंने दीप्ति से कहा- क्यों बे … तुझे अब दर्द नहीं हो रहा ही कु*तिया!
वह हंस कर बोली- , हो तो रहा है … लेकिन तेरे से करवाने में मज़ा भी आ रहा है.
अब मैं और दीप्ति दोनों ही एक दूसरे को सपोर्ट कर रहे थे.
वह भी हिप उठा उठा कर ठुक रही थी, मैं भी धक्के मारे जा रहा था.
हम दोनों एक दूसरे को कस के पकड़े हुए थे, तभी मेरा निकलने वाला हो गया था.
मैंने ये महसूस करते ही अपनी स्पीड बहुत बढ़ा दी.
वह भी शायद समझ गई थी; उसने भी जोर जोर से उचक कर साथ देना चालू कर दिया.
उसने मुझसे कहा- मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है और मुझे अपनी गुफा में कुछ फील हो रहा है.
ये कह कर उसने जोर से मुझे पकड़ा और गले से लगा लिया.
मैं बोला- तू झड़ने वाली है पागल … और मैं भी.
वह कुछ नहीं बोली.
अंत में कुछ पलों में वह झड़ गई और उसके झड़ते ही उसकी गुफा की गर्मी से मैंने भी अपना पूरा रस उसकी गुफा में ही डालना शुरू कर दिया, मैं भी झड़ गया.
झड़ते हुए हम दोनों ने और जोर से एक दूसरे को पकड़ लिया.
हम दोनों का बदन ऐंठने लगा.
मैं निढाल होकर उसी के ऊपर लेट गया.
वह भी निढाल हो गई.
मैंने उसकी गु*फा से नहीं निकाला था, हम दोनों वैसे के वैसे ही सोए रहे.
थोड़ी देर बाद मेरा तनाव कम हुआ और अपने आप उसकी गुफा से बाहर आ गया.
मैंने उसको किस किया और कहा- मजा आ गया आज तो!
उसने भी मुझे किस किया और बोली- अब से मैं हमेशा तुमसे करवाऊंगी . ये अब मेरा है.
मैँ हंस दिया.
ठुकाई के बाद हम दोनों उठे तो उसने देखा कि उसकी गुफा में खून लगा हुआ था.
एक बार को उसने मेरी तरफ विस्मय से देखा और हंस दी.
हम दोनों बाथरूम गए और अपने सामान और गुफा से खून साफ किया.
अब हम दोनों ने कपड़े पहने और मैंने दीप्ति को किस किया.
मैं- अगली बार जब कभी भी मन हो, आ जाना.
उसने भी कहा- हां अगला मौका मिलते ही कॉल करना.
कुछ देर बाद वह अपने घर चली गई.
दोस्तो, आपको कैसी लगी दीप्ति की सील तोड़ने वाली कहानी. उम्मीद है आपको कहानी पसंद आई होगी.
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