पहली चुदाई में वर्षा की चूत*-गांड की सील खोली.

 दोस्तो, मेरा नाम राहुल है।

यह कहानी मेरी और मेरी दोस्त वर्षा की पहली चुदाई की है।


देसी GF फर्स्ट फक स्टोरी उन दिनों की है जब मैं अपनी इंजीनियरिंग करके इंटरव्यू की तैयारी कर रहा था।


मुझे अंग्रेजी अच्छे से आती थी फिर मैंने एक ट्यूशन जॉइन कर ली।

वहाँ मेरी मुलाकात एक गोल-मटोल बेहद खूबसूरत लड़की वर्षा से हुई।


वो अभी कॉलेज के पहले ईयर में थी।

शक्ल से वो बहुत भोली और शांत थी।


उसको देखकर लग रहा था कि अभी तक इसे किसी ने छुआ नहीं है।

उसके दूधों के उभार बार-बार मेरा ध्यान खींचते थे।


मैं क्लास में बैठा हुआ उसे ही देखता रहता था।


धीरे-धीरे करके हमारी बातें शुरू हुईं।

हम दोनों कुछ ही दिनों में अच्छे दोस्त बन गए।


दोस्तो, वर्षा उस वक्त 20 साल की थी और मैं 24 का था।


मैंने कहा- एक घंटे की ट्यूशन काफी नहीं है। तुम चाहो तो मेरे घर आ सकती हो पढ़ने के लिए!

उसने कहा- ठीक है। मैं आ जाया करूंगी।


अगले दिन वो ट्यूशन खत्म करके सीधे मेरे घर के लिए मेरे साथ चल दी।


मैं अकेला ही रहता था।


उसके अंदर आने के बाद मैंने दरवाजा बंद कर दिया।

पता नहीं क्यों वह मुझे देखकर शर्माने लगी जैसे कि नई दुल्हन हो।


फिर मैंने कहा- तुम शर्मा क्यों रही हो।

फिर मैंने उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसकी आंखों में देखा।


मैं बोला- तुम्हें नजरों में नजर डालकर देखना चाहिए, इससे कॉन्फिडेंस बढ़ता है।


दोस्तो, मुझे ऐसा लगा जैसे वो भी सेक्स के लिए बेचैन सी हो गई थी।


उसकी आंखों में साफ दिख रहा था जैसे वो मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार हो।


मैंने कहा- चलो, अंग्रेजी का ट्यूशन तो मैं तुम्हें बाद में दूंगा, पहले तुम्हें बॉडी लैंग्वेज के बारे में सिखाता हूं।

वो भी झट से मान गई।


शायद हम दोनों ही जानते थे कि यहां हम बहाने से सेक्स करने आए हैं।


मैंने वर्षा को बेड पर बिठा लिया।

वो थोड़ी सी मुस्करा दी।


मैंने कंधों को थोड़ा सहलाया तो वो शर्मा गई।

मैं समझ गया कि लाइन क्लियर है।


मैंने सीधे उसके बूब्स के नीचे हाथ लगाकर उन्हें ऊपर उठाते हुए कहा- ये बिल्कुल तुम्हारी छाती पर तने हुए होने चाहिएं बीच में तोप के जैसे।


वो बोली- मुझे तो बहुत शर्म आ रही है।

मैं- इसमें शर्म कैसी?


फिर मैंने उसके होंठों पर उंगली फेरी।

उसने मेरी तरफ देखा।


उसकी आंखों में एक प्यास थी।

मैंने बिना कुछ सोचे उसके होंठों पर होंठ रख दिए।


लेकिन होंठ उसने बंद कर रखे थे।


मैंने अपनी उंगलियों से उसके होंठों को खोला लेकिन दांत अभी भी बंद थे।

फिर मैंने अपनी जीभ से उसके दांतों पर ब्रश करना शुरू किया।


धीरे-धीरे जब उसे होंठों को मजा मिलने लगा तो वो उसने अपने होंठ खोल दिए।

अब मेरी जीभ उसके मुंह में प्रवेश करने लगी।


मैं जीभ से जीभ टकराने लगा।

वो एकदम से इतनी गर्म हुई कि उसने मुझे कस कर चूम लिया और अपनी जुबान मेरे मुंह में घुसा दी।


मैंने भी उसकी चूचियों को कपड़ों के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया।

अब वो उम्म … आह्ह … करने लगी।


फिर वह बोली- मुझे डर लग रहा है।

मैंने कहा- मेरा भी पहली बार है, कुछ नहीं होगा, मजे से करेंगे। बस मैं जैसे कहता हूं वैसे करती जाओ। सबसे पहले कपड़े उतारो।


उसने कहा- नहीं, मुझे शर्म आती है।

मैंने कहा- लेकिन मैं नहीं शर्माऊंगा।


कह कर मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और उसके सामने नंगा हो गया।


मेरा 7 इंच का लंड उसकी आंखों के सामने था।

लंड देखते ही उसने अपने हाथों से चेहरा छिपा लिया।


लेकिन मैंने उसके हाथ हटवा दिए और वो मेरे लंड को घूरने लगी।


मैं बोला- इसको मुंह में लेकर चूसो।

वो बोली- नहीं, मुझे नहीं करना।

फिर मैंने उसके साथ जबरदस्ती नहीं की।


उसका मन तो था कि लंड को चूसकर देखे लेकिन वो मेरे सामने शर्मा रही थी।

फिर सोचा कि पहले इसको पूरी तरह से गर्म करना पड़ेगा।


फिर मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से चू*त को सहलाना शुरू कर दिया।

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- नहीं, वहां नहीं।


मैंने उसकी बात नहीं सुनी और उसके हाथ को हटाकर चूत को रगड़ने लगा।


फिर दो मिनट बाद ही उसने विरोध करना बंद कर दिया।

उसने अपने हाथ हटा दिए और चूत को रगड़वाने लगी।


मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए।

जब वो नंगी हुई तो मेरी आंखें खुलीं रह गईं।


क्या माल थी दोस्तो वो … एकदम से गोरी और गदराई हुई जवानी थी।


वर्षा के मैंने दोनों आमों को निचोड़ना शुरू कर दिया।

वो भी मेरे बालों को पकड़ कर मेरे सिर को अपनी छाती में दबाने लगी।


मैं काफी देर तक उसके बूब्स को चूसा और निप्पलों को चुभलाया।

उसके निप्पल एकदम से तनकर खड़े हो गए।


मेरा लंड अब फटने को हो रहा था और मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था।

मेरा मन उसके मुंह में लंड देने को कर रहा था।


मैंने उसके सिर को पकड़ कर नीचे झुका दिया, दबाते हुए मैंने उसके मुंह में लंड दे दिया।

मेरा लंड उसके गले तक लगने लगा और उसका चेहरा लाल हो गया।


वो छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन मुझे बहुत मजा आ रहा था।

लगभग पांच मिनट तक मैंने उसके मुंह को चोदा और मेरे वी*र्य की पिचकारी उसके मुंह में छूट गईँ।


जब मैंने मुंह से लंड निकाला तो बुरी तरह से हांफ रही थी।

वो बोली- ये तो जबर दस्ती कर रहे हो आप, छोड़ो … मुझे जाने दो।


लेकिन मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और उसे बेड पर गिरा दिया।


अब मैंने उसकी दोनों टांगें फैला दीं।

फिर मुंह उसकी चू*त पर लगाया और चूत को चाटने लगा।


वो एकदम से सिहर गई।


मैंने चूत में जोर से मुंह घुसाना शुरू कर दिया।

अब उसका पूरा बदन कांपने लगा।


उसको पूरा मजा आने लगा और वो मेरा सिर पकड़ कर चूत पर दबाने लगी।


मैंने देखा कि वो चूत चटवाने का पूरा मजा ले रही है.

तो मैंने कहा- तुम्हें जाना था न? क्या हुआ?


वो बोली- कुछ मत कहो … प्लीज … मेरी चूत को चाटो।


मैंने कहा- नहीं, मैं नहीं चाटूंगा अब और! जैसे मैंने तुम्हारे मुंह को लंड देकर चोदा था, अब तुम मेरे मुंह को अपनी चू*त से ऐसे ही चोदोगी।


इतना बोलकर मैं बेड पर लेट गया और उसको मेरे ऊपर आने के लिए कहा।

फिर वो मेरे ऊपर आ गई।


मैंने उसको अपनी छाती तक लाते हुए चूत को मुंह के पास करवा लिया।


फिर वो और आगे आ गई और उसने झुकते हुए चू*त को मेरे मुंह से सटा दिया।

अब वो मेरे मुंह पर चूत लगाकर उसको धकेलने लगी।


इसी बीच मैंने मुंह खोल दिया और चूत में जीभ देने लगा।


जैसे ही वो चूत को मेरे मुंह की तरफ धकेलती मैं जीभ को अंदर सरका देता था।


इससे उसे भी डबल मजा मिल रहा था।

मुझे भी उसकी चूत का पूरा रस मिल रहा था।


देखते ही देखते वो पूरे जोश में आ गई और मैंने उसकी चूत के दाने पर जुबान से रगड़ना शुरू कर दिया।


वो जोर जोर से मेरे मुंह पर धक्के दे रही थी जैसे सच में ही मेरे मुंह को चो*द रही हो।


वो अब जोर से सिसकारियां भरते हुए चिल्लाने लगी- आह्ह … आह्ह मम्मी … अआ आई आआ आह्ह्ह …

करते-करते उसने स्पीड और बढ़ा दी।


उसकी चूत अब इतनी जोर से मुंह की तरफ आ रही थी कि मेरी नाक से टकरा जाती थी।

उसकी चूत से बड़ी ही मस्त गंध आ रही थी।


अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था।

उसकी चूत मेरी नाक से बिल्कुल सट रही थी और मुझे सांस भी आना मुश्किल हो रहा था।


मैंने उसको हटाना चाहा लेकिन वो मेरे मुंह पर बिल्कुल जमकर बैठी हुई थी।


उसकी गांड के गोल-गोल पुट्ठे मुझे मजा देने लगे।

लेकिन मेरा दम घुट रहा था।


जितना मैं उसको हटाने की कोशिश कर रहा था, उसके धक्के और ज्यादा बढ़ जाते थे।


ये वैसा ही था जैसे मैं जोर-जोर से उसके मुंह को चोद रहा था और उसके हटाने पर भी मुंह में लंड के धक्के दिये जा रहा था।


वो भी मेरे साथ अब ऐसा ही कर रही थी।


मेरी जीभ उसकी चूत में नीचे से ऊपर … और ऊपर से नीचे … कभी उसके मूत वाले छेद पर तो कभी उसके दाने पर रगड़ खा रही थी।


वो अब गांड उछाल-उछाल कर मेरे मुंह को चोद रही थी।

उसके मोटे-मोटे संतरे मस्ती में उछल रहे थे।


उसके निप्पल एकदम से मटर के दाने के जैसे तनकर सख्त हो चुके थे।

ऐसे रसीले निप्पल देखकर मेरा जोश भी और ज्यादा बढ़ रहा था।


फिर उसने मेरे बालों को छोड़ा तो मैंने मुंह थोड़ा ऊपर उठाया और मुझे थोड़ा सांस आने से राहत मिली।

लेकिन वो रुकने वाली नहीं थी।


उसने और ज्यादा जोर लगाया जिससे मेरी जीभ उसकी चूत से छूट गई।


अब जीभ उसकी गांड पर जा लगी।

कई बार जीभ ने उसकी गांड को रगड़ा जिससे वर्षा को गुदगुदी होने लगी और वो एकदम से हंस पड़ी।


वो अब आह्ह … अम्म … आह्ह अम्म करते हुए तेजी से हांफ रही थी।

मैं समझ गया था कि ये झड़ने वाली है।


उसकी चू*त के छोटे से छेद से रस बहकर निकलने लगा।

चू*तरस उसकी गांड तक जा रहा था।

मैंने उसकी चूत से निकलते हुए सारे रस को चाट लिया।


वो बोली- काश मेरे पास भी लम्बा लंड होता तो मैं भी मुंह में घुसा देती तुम्हारे!

मैंने उससे कहा- मेरे पास एक आइडिया है, जिससे मैं तुम्हारी यह इच्छा भी पूरी कर सकता हूं।


मैंने जल्दी से उठकर कपड़े पहने।

फिर मैं वर्षा को वहीं छोड़कर जल्दी से बाजार गया और एक हरे रंग का केला लेकर आ गया।


वापस आकर मैं जल्दी से नंगा हो गया और उस केले को अपने लंड से नापकर देखा।


वो कच्चा केला मेरे लंड से थोड़ा सा छोटा और पतला था लेकिन काम अच्छे से चल सकता था।

मैंने केले को आधा छील लिया।


फिर वर्षा को नीचे लिटा दिया।

मैंने उसकी टांगों को मोड़ कर ऊपर कर दिया।


उसकी चूत पूरी तरह से गीली हुई पड़ी थी।

चू*त बिल्कुल फूली हुई थी।


उसकी चूत के छेद को मैंने अपनी जीभ से चाट कर साफ कर दिया।


वो आह्ह … आउउउच … आह्हह आउच … करती रही।

लेकिन मैं अपना काम करता रहा।


अब मैंने केले के कड़क हिस्से को चूत पर लगाते हुए जोर लगाकर अंदर घुसा दिया।

उसकी चीख निकल गई लेकिन मैंने हाथों से उसका मुंह बंद कर दिया।


उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे।


मैंने देखा कि जैसे ही केला उसकी चूत के अंदर गया, उसकी गां*ड का छेद खुद ही अंदर बाहर होने लगा।

जैसे वो छेद बोल रहा हो- मैं भी भूखा हूं!


अब मैंने उससे खड़ी होने के लिए कहा।

वो खड़ी हो गई।


मैं बोला- अब इस केले से मेरे मुंह को चोद दो।

ये बात सुनकर उसे थोड़ी खुशी हुई और राहत भी मिली।


उसने मेरे मुंह में केले का छिला हुआ भाग घुसाना शुरू कर दिया.

क्योंकि छिलके वाला सख्त भाग उसकी चूत में घुसा हुआ था, वो मेरे मुंह पर बैठ गई और केले से चो*दने लगी।


मुझे थोड़ी शरारत सूझी और मैंने होंठों से अपने मुंह को बंद कर लिया।

जब वो धक्का देने लगी तो केला मेरे मुंह में जाने की बजाय उसकी चू*त में और अंदर घुस गया।


वो चिल्ला पड़ी।

केला उसकी चू*त की झिल्ली को चीरता हुआ अंदर जा घुसा।


उसकी चू*त से खून की कुछ बूंदें बाहर आईं।

मैंने होंठों से केले को पकड़ा और खींचकर बाहर कर दिया।


मैंने वर्षा को लेटा दिया।

अब उसकी चू*त को फैलाकर मैं उसमें फूक मारने लगा।


उसकी चू*त की पंखुड़ियां जैसे खिल गई थीं।

आज उसकी चू*त की सील टूट गई थी।


वर्षा अब एक जवान औरत बन गई थी।

उसके चेहरे से पसीने की बूंदें भी टपक रही थीं।

उसको काफी गर्मी चढ़ गई थी।


चेहरा देखकर लग रहा था कि उसको चु*दवाने की पुरजोर इच्छा हो रही है।


चु*दने की इच्छा उसकी आंखों में साफ देखी जा सकती थी।

उसने मुझे किस किया और मेरे लं*ड को हाथ में ले लिया।


वो बोली- केले की जगह काश तुम मेरे पहले पंछी होते।

उसने मुझे धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और दोनों पैरों को फैलाते हुए मेरे ऊपर चढ़ गई।


उसने एक हाथ से मेरा लं*ड पकड़ कर अपनी चू*त पर सेट कर दिया।

फिर दूसरे हाथ से मेरी छाती के छोटे छोटे उभार दबा दिए।

वो उछलने लगी और उसके साथ ही उसके संतरे भी उछलने लगे।


मेरा लं*ड उसकी चू*त में अब आसानी से अंदर-बाहर होने लगा।

उसके कबूतरों को मैंने जोर से पकड़ा और अपनी गां*ड को उछालते हुए उसे जोर से चो*दना शुरू कर दिया।


एक बार फिर से उसकी चीखें निकलने लगीं।


फिर थोड़ी ही देर में वो उछलते हुए थकने लगी और आखिरकार झड़ गई।

वो एकदम से मेरी छाती पर आकर लेट गई और बोली- बस करो … आई लव यू .. राहुल।


लेकिन मैं अभी भी उसकी चू*त में धक्के लगाता चला गया।


लगभग 20 मिनट के बाद मेरा भी वीर्य का बांध टूट गया और मैं उसकी चू*त में खाली होने लगा।

फिर हम दोनों जैसे बेहोश होकर पड़े रहे।


मेरा 7 इंच का लं*ड सिकुड़ कर 4 इंच हो गया था।

उसकी चू*त भी अब ढीली सी दिख रही थी।


उसकी चूत में से हम दोनों का ही रस मिलकर बाहर आ रहा था।

देसी GF फर्स्ट फक के बाद सो गई।


फिर मैं उठा और बाथरूम में जाकर लं*ड धोकर आ गया।


जब मैं वापस आया तो उसके गोल गोल पुट्ठों को देखकर मुझसे रहा नहीं गया, मेरा लं*ड फिर से खड़ा हो गया।


मैंने उसके पैरों पर बैठकर पुट्ठों पर हाथ फेरा।

वो गहरी नींद में सो रही थी।


मैंने उसकी गां*ड के छेद को देखा।

छोटी सी, सीलपैक गां*ड थी बिल्कुल।

चू*त अब खुली हुई थी जिसे देखकर मुझसे रहा नहीं गया।


मैं कु*त्ते के जैसे जीभ से उसकी चू*त को चाटने लगा।

कभी गां*ड का छेद तो कभी चू*त का छेद।


वर्षा भी नींद में ही सिसकारियां भरने लगी।

शायद उसको भी नींद में चू*त-गां*ड चटवाते हुए मजा आ रहा था।


मुझसे चु*दाई बिना रुका नहीं गया।

मैं तेल की शीशी ले आया और उंगली को तेल में डुबाकर उसकी गां*ड में घुसा दी।


मैंने गां*ड में अच्छे से उंगली चलाते हुए अंदर तक तेल लगा दिया।


इतने में वो एकदम से जागकर होश में आ गई।

बोली- नहीं, नहीं … वहां नहीं! आज के लिए हो गया … प्लीज अब जाने दो।


मगर मैंने उसकी एक न सुनी।

मैं उंगली को अंदर बाहर करने लगा।


वो हटाने की कोशिश करती रही लेकिन मैंने उसे घोड़ी बनाकर गिरफ्त में ले लिया था।


मैंने छेद पर लं*ड लगाकर जोर लगाया तो उसकी चीख निकल गई।

वो चिल्ला उठी- आआ आआईईई … मर गईईई … ऊऊईईई मम्मी … बहुत दर्द हो रहा है!

कहते हुए वो रोने लगी।


मुझे भी लं*ड के टोपे में दर्द सा महसूस हो रहा था क्योंकि उसकी गां*ड बहुत टाइट थी।

मैंने अब लं*ड पर भी खूब सारा तेल डाल दिया।


फिर दोबारा से धक्का मारा तो कामयाबी मिल गई।

लं*ड उसकी गां*ड की सारी सीमाएं तोड़ता हुआ अंदर जा फंसा।


वो अब दर्द के मारे कुछ बोल भी नहीं पा रही थी, सिर्फ आंसू ही गिर रहे थे।


अब मैंने धीरे धीरे गां*ड चु*दाई शुरू की।


मेरी रफ्तार बढ़ने लगी।


धीरे-धीरे वर्षा अपने होश खोने लगी।

मेरे हर धक्के के साथ वो आगे खिसक जाती थी लेकिन मैंने गां*ड से लं*ड को बाहर नहीं आने दिया।


मैं एक हाथ से उसकी चूचियों को भी मसलता रहा।

इतने में ही उसने सुसु करना शुरू कर दिया लेकिन मैं उसे चो*दता ही चला गया।


कमरे में गां*ड चु*दाई से होने वाली पट-पट और पे*शाब की सुर्रर् … सुर्रर … की आवाज गूंज रही थी।

फिर मैं भी झड़ने के करीब आने लगा।


कुछ पल बाद धक्के लगाते हुए मैंने उसकी गां*ड में वी*र्य खाली कर दिया।

मैंने लं*ड निकाल कर उसकी गां*ड के छेद को देखा तो वो जैसे ज्वालामुखी की तरह खुलकर बाहर लावा फेंक रहा था … मेरे वी*र्य का लावा!


फिर मैं एक शहद की शीशी लाया क्योंकि वर्षा बहुत रो रही थी।


मैंने शहद उसकी गां*ड और चू*त पर लगाया।

फिर हल्के हल्के चाटा।

इससे उसे काफी सुकून मिला।


उसने मुझे गले लगाकर एक जोरदार चुंबन दिया।


हम साथ में नहाने गए।

फिर कपड़े पहन कर एक दूसरे को गले मिले और दोनों ने एक दूसरे को ‘आई लव यू’ कहा।


उसके बाद मैं वर्षा को बाहर घुमाने के लिए ले गया।

अब ट्यूशन में हम दोनों के दूसरे से काफी खुलकर बातें करते थे।


हम अच्छे दोस्त बन गए थे।


आपको मेरी यह स्टोरी कैसी लगी मुझे जरूर बताना।


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