घर के सामने वाली लड़की ने चूस कर मेरे लंड से अपनी चूत की सील खुलवाई

 मेरा नाम गौरव है.मै दिल्ली में रहता हूँ, मेरी उम्र 22 साल है यह कहानी पिछले महीने की ही है जब मैंने पहली बार  किया!

मैं चार साल बाद बी.टेक खत्म करके घर वापस आया था! मेरा 6.5 इंच का सामान तड़पता रहता था किसी को पे*लने के लिए!


मेरे घर के सामने वाले घर में एक लड़की रहती है अपने परिवार के साथ. मेरी ही उम्र की होगी, दिखने में काफी ख़ूबसूरत  है! उसका फिगर 34-26-36 का होगा. जब भी हम दोनों बालकॉनी में खड़े रहते, एक दूसरे को चोरी चोरी देखते रहते. वो पूरा दिन घर में ही रहती थी.


एक दिन मैं मेट्रो से कहीं जा रहा था तो मेट्रो स्टेशन पर वो मुझे मिली, हम दोनों ने स्माइल पास की, फिर मैंने उसके पास जाकर उसे हेलो बोला! उसने भी हेलो कहा और अपना नाम निशा बताया. वो अपने कॉलेज जा रही थी कुछ पेपर्स लेने! उसने बताया कि वो कोरेसस्पोंडिंग से पढ़ाई करती है इसीलिए घर पर ही रहती है और उसके ज्यादा दोस्त भी नहीं हैं.


मैंने कहा- मेरी दोस्त बनोगी?

तो वो थोड़ी शरमा गई और हाँ कर दी! मैंने उसका नंबर ले लिया और वो चली गई!

शाम को फिर वो बालकोनी में खड़ी मिली, मैंने हाथ से इशारा किया तो उसने स्माइल दी. मैंने इशारा किया कि खूबसूरत लग रही हो! वो शरमा कर अंदर चली गई!

रात को उसका मैसेज आया- सो गए क्या!

मैंने कहा- नहीं!

वो- मैं अकेलापन महसूस कर रही हूँ. काश कोई अभी मेरे पास होता!

मैं उसकी भावनाओं को समझ रहा था कि आग दोनों तरफ लगी पड़ी है!

हम मैसेज के जरिये ही बात करने लगे रात को! फिर ठु*काई की बाते भी शुरू हो गई, पर वास्तव में कुछ करने का मौका नहीं मिल रहा था.

मैं कभी कभी अपने सामान की ते*ल से मालिश करता हूँ, एक दिन मैंने मालिश करते हुए एक फोटो ली और उसको बालकोनी पर बुला कर ब्लूटूथ से भेज दी! उसकी आँखें फ*टी रह गई और थोड़ा शर्माने लगी!

मैंने कहा- अब तुम भी तो भेजो कुछ?

बहुत मनाने के बाद उसने अपनी फोटो भेजी जिसमें वो ब्रा और पैं*टी में थी! मेरी तो पै*न्ट फटने को हो रही थी और बस सोच रहा था कि कब मौका मिलेगा इसको पे*लने का!

एक दिन रविवार था और घरवाले किसी रिश्तेदार के यहाँ गए हुए थे और मजे की बात यह थी कि उसके यहाँ भी कोई नहीं था.

मैंने मौका देख कर उसको घर पर बुला लिया!

जब वो घर के अंदर आई तो मैं केवल कच्छे में था.

वो हंसने लगी!

मैंने कहा- मेरे सामान की मालिश करो ना तुम!

वो मान गई, उसने मेरा अं*डरवियर उतारा और जैसे ही मेरे सामान को छुआ, मैं एकदम से तड़प सा गया और उसके हाथ में अपना देकर दबाने लगा. उसने मेरा सामान पर तेल लगाया, मालिश करने लगी!


क्या बताऊँ कि कितना मज़ा रहा था! 

मालिश करते करते वो मेरी  मारने लगी, 15 मिनट बाद मैं झड़ गया. फिर मैं बाथरूम गया और सामान को साफ़ करके आया. अब फिर से ख*ड़ा हो चुका था, मैंने निशा को किस करना शुरू किया! हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे को चूमने लगे, कभी मैं उसके होठों को चूसता तो कभी उसकी जीभ को चूसता!

20 मिनट तक हम चूमाचाटी करते रहे. इस बीच हमारे हाथ एक दूसरे के शरीर के ऊपर फ़िर रहे थे.मैंने उसको नं*गी करना शुरू किया! जैसे जैसे एक क*पड़ा उतरता, मैं उसके बदन को चूमता! धीरे धीरे करके मैंने उसको पूरी नं*गी कर दिया. अब उसके सं*तरे मेरे सामने थे, बिल्कुल पके हुए आमों की तरह! मैं उन्हें दबाने लगा और फिर उसके नि*प्प्ल चूसने लगा.

वो बहुत जोर से सीत्कार रही थी और मुझे कस के पकड़ रही थी. मेरा एक हाथ उसकी जांघों की तरफ चला गया और वो सिहर उठी!


मैं उसकी गु*फा में ऊँगली करने लगा वो पागल सी हो उठी!

फिर मैं उसकी गु*फा को चाटने लगा और मेरा सर अपनी गु*फा में दबाने लगी!

क्या आनन्द आ रहा था, जैसे जन्नत में हूँ मैं! मैं उसकी गु*फा को अपनी जीभ से पे*लने लगा, वो जोर से ‘आह  की आवाजें निकाल रही थी!

फिर हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए, 5 मिनट तक एक दूसरे के अंग चूसने के बाद मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी गु*फा में डालने लगा! पर उसकी गु*फा बहुत ही तंग थी तो थोड़ा सा ही घु*सा और उसे दर्द होने लगा. मैंने और जोर लगाया तो चिल्लाने लगी- बाहर निकालो, दर्द हो रहा है!

मैं उसको चुप करने के लिए किस करने लगा और एक जोर से धक्का मारा और आ*धा अं*दर चला गया. उसकी आँखों से आँसू आने लगे!

फिर मैंने धीरे धीरे आगे पीछे किया तो थोड़ी शांत हुई! पर क्या म*ज़ा आ रहा था, क्या बताऊँ! जैसे सामान को किसी गर्म भट्टी में डाल दिया हो!

फिर मैंने एक और धक्का लगाया तो  पूरा अंदर चला गया! मैं धीरे धीरे उसे पे*लने लगा अब वो भी मज़े लेकर ठु*क रही थी और मुझे चूम रही थी, उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और मेरा एक हाथ उसके सं*तरो को दबा रहा था.


उसकी आँखें बंद थी और बस ‘आह आह  कह रही थी.

करीब 15 मिनट बाद हम दोनों का छू*ट गया और मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके चूसने लगा! फिर मैंने उसके हर अंग को चूमा और चाटा!

उसके शरीर से बड़ी अच्छी गंध आ रही थी जो मुझे और कामुक कर रही थी.  महाराज फिर खड़े हो गए और ठु*काई का खेल फिर शुरू हो गया. उस दिन हम दोनों ने खूब ठु*काई की और फिर उसने अपने कपड़े पहने और घर जाने लगी. मैंने उसे रोका, जोरदार चुम्बन करने लगा.


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