मामा के बेटे के मोटे लंड से चू*त चु*दवाई.....
नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम स्नेहा है.
मेरी उम्र 27 साल है.
मैं दिखने में एकदम गोरी, चिकनी और परफेक्ट फिगर वाली लड़की हूँ.
मेरा फिगर साइज 32-28-36 का है.
मेरा लोअर एरिया काफी से*क्सी है, गोल जांघें और भरी हुई गां*ड है.
कोई भी देखे तो उसका मन मेरी गां*ड मारने का करने लगे.
यह मेरी अंतर्वासना पर पहली और सच्ची से*क्स कहानी है.
मेरे घर में मैं, पापा-मम्मी और भाई रहते हैं.
एक बार भाई, मम्मी और पापा को दिल्ली में शादी में जाना था तो उन्होंने मेरे मामा के लड़के को घर पर रहने के लिए बुला लिया.
मेरे मामा का लड़का मुझसे 3 साल छोटा था और अभी पढ़ाई कर रहा था.
वह मेरी बहुत इज्जत करता है.
दिन में मेरा कजिन घर आ गया.
शाम को सबको निकलना था, तो वे तीनों लोग निकल गए.
हम दोनों ने डिनर किया और मैं अपने रूम में आ गई और वह मेरे भाई के रूम में सोने चला गया.
मुझे से*क्स किए हुए 2-3 साल हो गए थे, जब मेरा बॉयफ्रेंड हुआ करता था, तो मैं उससे चु*द चुकी थी.
मेरा ब्रेकअप 2-3 साल पहले हो गया था, तो अब मैं अपनी प्यास खुद ही बुझा लिया करती थी.
जब भी मेरा मन करता, तो मैं पॉ*र्न मूवी देख-देख कर अपनी चू*त में उंगली करके अपना काम चला लेती थी.
आज भी मेरा मन हुआ, तो मैंने गेट बंद किया और पूरी नं*गी होकर पॉ*र्न देखने लगी.
मैं धीरे-धीरे अपनी चू*त को सहला रही थी और वासना के न/शे में मदहोश हो रही थी.
मेरे रूम में बिल्कुल अंधेरा था लेकिन मेरे रूम के बाहर एक लाइट जल रही थी जिससे खिड़की से हल्की रोशनी आ रही थी.
अचानक से मैंने देखा कि खिड़की से किसी की परछाई दिख रही थी, जैसे कोई बाहर खड़ा हो.
यह देखते ही मेरी तो हालत खराब हो गई.
मैंने चिल्लाकर कहा- कौन है वहां?
लेकिन वह हिला नहीं.
मैंने जल्दी से अपनी नाइटी लपेटी, उसकी डोरी बांधी, पैंटी और ब्रा को तकिए के नीचे छुपाया और कजिन के रूम में जाकर नॉक किया.
वह दरवाजा खोल कर बाहर आया.
मैंने उसे बताया, तो हम दोनों बाहर देखने गए.
वहां कोई नहीं था.
फिर भी मुझे डर लग रहा था.
मैंने कहा- भाई, तुम मेरे रूम में सो जाओ … मुझे डर लग रहा है.
वह बोला- ठीक है, चलो.
तभी मैंने देखा कि मेरे आधे बूब्स दिख रहे थे क्योंकि मैंने सिर्फ ऊपर से नाइटी बांधी थी, अन्दर कुछ नहीं पहना था.
मेरी गीली चू*त भी डर के मारे सूख चुकी थी.
अब हम दोनों लेट गए.
उसने निक्कर और बनियान पहनी थी.
शायद उसने अंडरवियर नहीं पहना था क्योंकि उसका लं*ड दिख रहा था.
हम दोनों ने कुछ देर बातें की, फिर सो गए.
रात में मैं बाथरूम के लिए उठी, तो देखा उसका लं*ड खड़ा था.
उसका लं*ड निक्कर के अन्दर से ही मोटा और लंबा दिख रहा था.
उसके बड़े लौ*ड़े को देखकर मेरे अन्दर अजीब सी चिंगारी दौड़ पड़ी.
मैं बाथरूम गई, वहां से आई और फिर लेट गई.
अब मेरे दिमाग में शरारत चलने लगी कि कैसे इसके लं*ड से अपनी आग बुझाऊं, क्योंकि मेरी चू*त का पानी भी आज नहीं निकल पाया था और इतने समय से मैं लं*ड की भूखी थी.
आज मुझे यह काम उससे करवाना था, यह मैंने पक्का कर लिया था.
मैंने सोचा कि मैं उसके पैरों की साइड मुँह करके सो जाती हूँ, जिससे मेरी नाइटी के अन्दर का नजारा उसे दिख जाए क्योंकि मैंने पैंटी नहीं पहनी थी.
तब मैंने ऐसा ही किया.
मैंने उसके मुँह की साइड अपने पैर किए और उसकी निक्कर में से दिख रहे लं*ड से अपनी गां"ड रगड़ने लगी.
अब तक मेरी चू*त में भी गीलापन आ चुका था लेकिन उस चू*तिए ने कोई रिस्पॉन्स ही नहीं दिया.
अब मैंने अपनी दोनों टांगें फैला दीं.
एक टांग उसके ऊपर रख दी और एक नीचे बेड पर, जिससे मेरी नं*गी जांघें साफ दिख रही थीं.
मैंने जानबूझ कर उसे अपने पैर से हिलाया, जो उसके ऊपर रखा था ताकि वह उठ जाए.
मैं सोने का नाटक कर रही थी.
अब वह उठा, उसने मेरी टांग को नीचे रख दिया.
उसकी इस हरकत से मेरी सिल्की नाइटी ऊपर जांघों तक आ गई थी जिससे मेरी गोल-गोल जांघें साफ दिख रही थीं.
शायद उसे चू*त के भी दर्शन हो रहे होंगे अगर उसने ध्यान से देखा होगा तो … क्योंकि रूम में हल्की-हल्की रोशनी आ रही थी.
मैं जानबूझ कर पेट के बल उल्टा लेट गई ताकि उसे लगे कि मैं नींद में ऐसी हरकतें करती हूँ.
अब मेरी नाइटी मेरी गां*ड तक आ चुकी थी और मैंने चुपके से देखा कि वह बैठकर उस दरार से मेरी गां*ड को घूर रहा था, जहां से उसे मेरी गां*ड और चू*त दोनों दिख रहे थे.
कुछ देर ऐसे ही बीता.
मैं अन्दर ही अन्दर सोच रही थी- अब ये आगे बढ़े, आगे बढ़े!
अचानक मुझे उसका हाथ अपनी टांगों पर महसूस हुआ.
इससे मैं समझ गई थी कि मेरा काम हो गया है.
अब बस मुझे सोने का नाटक करके मज़ा लेना है.
उसने मेरी टांगों को सहलाते हुए जांघों को सहलाना शुरू किया.
इससे मेरी चूत गीली हो चुकी थी, जो कि बहुत दिनों बाद किसी मर्द के हाथ का स्पर्श महसूस कर रही थी.
फिर उसने मेरी नाइटी को मेरी कमर तक सरका दिया.
अब मेरी नं*गी गां*ड पूरी तरह खुल चुकी थी.
वह दोनों हाथों से मेरी गां*ड को सहला रहा था.
मैं पूरा मज़ा ले रही थी.
लेकिन उसे ये पता नहीं था.
कुछ पल बाद उसने एक उंगली से मेरी गां*ड के छेद को सहलाया, फिर ज़ोर-ज़ोर से दोनों हाथों से मेरी गां*ड को मसलने लगा, जैसे कि वह बहुत ज्यादा सॉफ्ट सा पिलो हो.
तभी मुझे अपनी गां*ड पर कुछ गीला-गीला महसूस हुआ.
वह उसकी जीभ थी, जिसे वह मेरी गां*ड पर घुमा रहा था और दोनों कूल्हों को चूस रहा था, जैसे कोई आम चूसता है.
मैं चुपचाप पूरा मज़ा ले रही थी.
बीच-बीच में वह मेरी गां*ड की गली में अपनी जीभ डाल देता, कभी गां*ड के छेद पर जीभ फेर देता.
इससे मैं समझ गई कि ये भी खिलाड़ी है. तभी मैं जानबूझकर हिलने-डुलने लगी, ताकि उसे लगे कि मुझे नींद में कुछ महसूस हो रहा है, लेकिन मैं नींद में हूँ.
मैं देखना चाहती थी कि वह मेरे साथ और क्या-क्या कर सकता है!
फिर मैंने अपनी एक टांग को मोड़ लिया, जिससे मेरी चू*त साफ दिखने लगी, जो मैंने अभी हाल ही में वैक्स करवाई थी.
मेरी चू*त एकदम चिकनी थी.
टांग फैलाने से चू*त पूरी तरह खुल गई और थोड़ा सामने को हो गई.
मेरे ममेरे भाई ने इसका फायदा उठाया.
वह अपनी जीभ को गां*ड की गली से होते हुए मेरी चू*त तक ले आया.
उसने मेरी नाइटी, जो आगे से बंधी थी, उसे खींचकर खोल दिया, जिससे नाइटी पूरी खुल गई और मेरे बूब्स भी आज़ाद हो गए.
उसने मेरी चू*त, जो नीचे थोड़ी दबी हुई थी, को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया.
चू*त पूरी गीली हो चुकी थी और वह मेरी चू*त के अन्दर भी अपनी जीभ घुसा रहा था.
कुछ ही देर में मैं पूरी गर्म हो चुकी थी, मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
मैं बस इंतज़ार कर रही थी कि कब ये अपना लं*ड मेरी चू*त में डाले, लेकिन वह बस चाटता ही जा रहा था.
साला कभी गां*ड चाटता तो कभी चू*त को चूसता.
इधर मेरी चू*त का पानी निकलने लगा था, जिसे वह चाटकर पी गया.
तभी मुझे अपनी गां*ड पर गर्म-गर्म महसूस हुआ.
मैं तुरंत समझ गई कि ये उसका लं*ड है, जो वह मेरी गां*ड पर रगड़ रहा था.
उसका लं*ड काफी लंबा और मोटा लग रहा था.
मेरी चू*त भी उसे लेने के लिए पूरी तरह तैयार थी लेकिन वह अन्दर नहीं डाल रहा था, बस ऊपर-ऊपर से अपना लंड घुमा रहा था.
शायद वह डर रहा था कि कहीं मैं जाग न जाऊं और वह पकड़ा जाए.
इस डर से वह अन्दर नहीं डाल रहा था.
मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, तो मुझे लगा कि मुझे ही कुछ करना पड़ेगा.
तभी वह फिर से मेरी गां*ड को चूसने-चाटने लगा.
मैंने मौका देखा और पलट कर पीठ के बल हो गई.
वह मेरी गां*ड पर मुँह करके चाट रहा था, तो मेरे अचानक पलटने से मेरी टांगों से टकरा कर नीचे गिरने लगा.
गिरने से बचने के लिए उसने मेरी टां*ग को ज़ोर से पकड़ लिया.
मैं चिल्ला कर उठ गई- ये क्या है?
मैंने देखा, वह पूरा नं*गा मेरे सामने पड़ा था.
उसका लं*ड मेरे सामने एकदम खड़ा था. उसका लं*ड शायद 7 इंच लंबा था.
इधर मैं भी उसके सामने पूरी नं*गी थी. मेरी नाइटी पीछे को लटकी हुई थी.
मैंने नाटक करते हुए उससे ज़ोर से पूछा- ये सब क्या है?
वह चुप रहा.
मैंने फिर से पूछा- बताओ न … ये क्या है?
जब मैंने चिल्ला कर ये बोला तो वह अचकचा कर बोला- दीदी सॉरी, वह मैं सो रहा था. तभी अचानक से उठा तो देखा आपकी गां*ड और चू*त मेरे सामने खुली हुई थी … और ये सब देख कर मैं कंट्रोल नहीं कर पाया. मैं काफी देर से इन्हें चूस-चाट रहा हूँ.' सोचा कि आपको पता नहीं चलेगा. तभी आप पलटीं, आपकी टांग मेरे मुँह पर पड़ी और मैं गिरने लगा. मैंने बचने के लिए आपकी टांग पकड़ ली और आप उठ गईं. सॉरी, दीदी!
मैंने बोला- तुमने मुझे किसी लायक नहीं छोड़ा. मैं किसी को क्या मुँह दिखाऊंगी?
उसने तुरंत कहा- दीदी लेकिन यहां मैं और आप ही तो हैं … मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा. आप भी प्लीज किसी को कुछ मत कहना.
तभी मेरी नजर उसके लं*ड पर पड़ी, जो अब ढीला पड़ चुका था.
मैंने सोचा, कहीं मेरा काम खराब न हो जाए.
मैंने उससे कहा- मुझे प्रॉमिस करो, तुम किसी से कुछ नहीं कहोगे!
उसने बोला- प्रॉमिस दीदी.
वह कान पकड़ कर सॉरी बोलने लगा.
मैंने उसका हाथ पकड़ा, अपने पास खींचा और कहा- कोई बात नहीं. अगर मेरे प्यारे भाई का मन किया तो कर लिया. ऐसे मायूस नहीं कर सकते उसे हम!
इतना कह कर मैंने उसे हग कर लिया.
वह मेरे बूब्स के बीचों-बीच चिपका हुआ था और उसका लं*ड मेरे पेट से सटा हुआ था.
वह अब फिर से टाइट होकर खड़ा होने लगा था.
मेरी भी आग अब दोगुनी हो चुकी थी.
उससे चिपक कर मैंने अपने एक दूध को उसके मुँह में दे दिया.
‘ले चूस ले बेटा … तुझे प्यास लगी है न!’
अब वह मस्ती से मेरे दूध को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा और दूसरे हाथ से मेरे दूसरे दूध को दबाने लगा.
तभी मैंने उसके लं*ड को पकड़ लिया, जो एकदम सख्त हो चुका था और बिल्कुल गर्म था.
मैंने उसके लौ*ड़े को अपने हाथ से रगड़ना शुरू किया.
इधर वह भी और जोर-जोर से मेरे दोनों बूब्स को चूसने लगा.
मैं भी आहें भरने लगी.
मैं उसे ऐसे ही अपने ऊपर लेकर लेट गई. वह मेरे ऊपर था और मैं उसके नीचे पड़ी थी.
उसका लं*ड मेरी चू*त से रगड़ रहा था.
मैं तो पागल हुई जा रही थी.
मेरी सालों की प्यास थी, वह आज बुझने वाली थी.
फिर मैंने उसे नीचे पटका और उसके ऊपर चढ़ गई.
हम दोनों किस करने लगे और मैं एक हाथ से उसके लं*ड को रगड़ रही थी.
मैंने उसके पूरे जिस्म को चूमना शुरू किया और उसके खड़े लं*ड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
वह एक हाथ से मेरी गां"ड को दबा रहा था.
मैंने उसका लं*ड पूरा मुँह में भर लिया था.
वह उछल-उछल कर मजा ले रहा था.
तभी मैंने अपनी चू*त उसके मुँह पर रख दी और हम दोनों 69 के पोज में हो गए.
वह मेरी चू*त चूस रहा था, मैं उसका लं*ड.
वह मेरी गां*ड में अपनी नाक घुसा कर चू*त चूस रहा था.
फिर अपनी जीभ मेरी चू*त के अन्दर डाल के जीभ से मुझे चो*द रहा था.
तभी वह अपनी जीभ मेरी गां*ड के छेद पर घुमाने लगा और एक उंगली मेरी चू*त के अन्दर डाल दी.
मैं भी उसके लं*ड और टट्टों को पूरा मुँह में ले रही थी.
कुछ देर हमारा ऐसा ही चला.
अब मैंने उसको बोला- चल बेटा. अपना ये लं*ड डाल दे अपनी दीदी की चूत में. अब रहा नहीं जा रहा!
वह फटाफट से उठा और मुझे नीचे लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गया.
उसने अपना लं*ड मेरी चू*त पर रखा जो कि उसके चाटने की वजह से पूरी गीली हो गई थी.
उसके एक ही धक्के में पूरा लं*ड मेरी चू*त में समा गया. मेरी मीठी सी आह निकली और मैंने कामुक दर्द से कराहते हुए उसके लौ*ड़े को अपनी चू*त में खा लिया.
अब वह घपाघप धक्के लगा रहा था और मैं भी गां*ड उठा उठा कर साथ दे रही थी.
हम दोनों एक-दूसरे से चिपके हुए थे और जबरदस्त चु*दाई चल रही थी.
मैं ‘आह्ह ह्ह. ऊह्ह हईई ईईई … फक मम्मी …’ की जितनी तेज मदभरी आवाजें निकाल रही थीं, वह उतनी ही जोर से झटके लगा रहा था.
उसका लं*ड मेरी चू*त की जड़ तक जा रहा था.
कुछ देर बाद मैंने आसन बदला और उसे नीचे लिटा कर मैं उसके लौ*ड़े के ऊपर बैठ गई.
मैंने उसके लं*ड को अपनी चू*त में डालकर राइड करना शुरू कर दिया जिससे मेरी गां*ड फट्ट-फट्ट की आवाज कर रही थी.
मेरी चू*त रस से गीली थी तो उसमें से भी फच्च-फच्च की आवाज आ रही थी.
पूरे कमरे में फच्च-फट्ट, आह्ह, ऊह्ह, ईई ईई की कामुक आवाजें गूंज रही थीं.
उसने मेरे दोनों बूब्स पकड़ कर नीचे से शॉट मारना शुरू कर दिया जिससे लं*ड पूरा अन्दर तक जाने लगा था.
मैं उसे गाली भी दे रही थी- चो*द बहनचोद … चो*द भो*सड़ी के मुझे पेल मादरचो*द … और तेज तेज चो*द … आह बुझा दे मेरी आग.
मेरी चू*त का पानी निकलने वाला था तो मैं और जोर-जोर से उछलने लगी.
फिर एक शानदार झटके के साथ मेरी चू*त का पानी निकल गया और मैं उसके ऊपर गिर गई.
चू*त का सारा पानी उसके लं*ड पर लग गया, जिससे वह और आसानी से अन्दर-बाहर होने लगा.
कुछ देर बाद उसने मुझे डॉगी स्टाइल में कर दिया और एक झटके में लं*ड अन्दर डालकर घपाघप पेलने लगा.
उसके टट्टे मेरी चू*त से रगड़ रहे थे और वह मेरी गां*ड को जोर से पकड़े हुए था जिससे मैं आगे भी नहीं जा पा रही थी.
मेरे बूब्स नीचे लटककर आगे-पीछे झूला झूल रहे थे.
उसका लं*ड मेरी चू*त का भो*सड़ा बनाने में लगा था और मैं भी फिर से चु*दने के लिए तैयार हो गई थी.
तभी उसने लं*ड को बाहर निकाला और चू*त को चाटने लगा.
मैंने कहा- ये क्या है बहनचोद … लं*ड क्यों निकाला!
शायद उसका पानी निकलने वाला था.
वह बोला- कुछ नहीं दीदी!
मैंने कहा- अन्दर डाल न उसे!
उसने फिर से लं*ड अन्दर डाला और जोर-जोर से झटके मारने लगा.
उसकी स्पीड तेज हो चुकी थी.
फिर आखिरी झटके के साथ उसने लं*ड बाहर निकाला और सारा माल मेरी पीठ पर गिरा दिया.
सारा रस झाड़ने के बाद नीचे लेट गया.
मैं भी उसके बगल में लेट गई.
हम दोनों नं*गे पड़े थे.
मैंने उससे पूछा- क्यों बेटा, अपनी बहन चो*दने में मजा आया?
वह हंस कर बोला- हां दीदी … जन्नत का मजा आ गया. इतना तो कभी नहीं आया, जितना आपके साथ मजा आया. आपकी चू*त, आपकी गां*ड का तो जवाब ही नहीं है. कितना भी इनसे खेलो, मन ही नहीं भरता. आपकी मखमली गां*ड ने तो मुझे अपना दीवाना बना दिया. दिल करता है बस उसी से खेलूं.
मैंने कहा- अब ये मखमली गां*ड और गुलाबी चिकनी चू*त सब तेरे ही हैं. जब तेरा मन मरे, इनसे खेल सकता है.
उसने कहा- क्या सच में दीदी?
मैंने कहा- हां बेटा, सब तेरा माल है और अब जब तक तू है, मैं कपड़े नहीं पहनूंगी … ताकि तू कभी भी खेल सके.
फिर हम दोनों उठे, पानी पिया और बातें की.
मैंने उसके लं*ड को पकड़ कर सहलाया क्योंकि मैं चाहती थी कि एक राउंड और हो जाए, जिससे मुझे आज सुकून की नींद आ जाए.
फिर सहलाते-सहलाते मैंने उसके लं*ड को मुँह में ले लिया और उसका लं*ड मेरे मुँह में धीरे-धीरे बड़ा होने लगा.
कुछ ही देर में उसका लं*ड पूरी तरह से फिर अपने अगले मिशन के लिए तैयार था.
मैंने कहा- चल बेटा, पहले मेरी चू*त को गीली कर … और शुरू हो जा.
उसने ये सुनकर तुरंत नीचे लेटकर मुझे अपने मुँह पर बिठा लिया और चू*त को चूसने लगा.
मैं उसके मुँह पर बैठकर चू*त चुसवाने के मजे ले रही थी.
मैं आपको बताना भूल गई … मुझे चू*त चुसवाने में बहुत अच्छा लगता है.
कुछ ही देर में मेरी चू*त फिर से तैयार हो गई थी.
मैं नीचे आई और अपनी दोनों टांगें उसके कंधों पर रख दीं.
उसने अपने लं*ड को मेरी चू*त पर रगड़ा और फिर शट्ट से अन्दर डाल दिया.
ऐसे हमने करीब 5 मिनट तक चु*दाई की.
फिर मैंने उसे ऊपर से हटाया और बेड से नीचे उतरकर काऊगर्ल पोज में चु*दाई करवाने लगी.
फिर 15 मिनट के गुड से*क्स के बाद उसने मेरी चू*त में ही सारा माल निकाल दिया.
इस बार मैं तुरंत बाथरूम गई, टॉयलेट किया और उसे साफ किया.
फिर हम दोनों रात में ऐसे ही सो गए.
सुबह देर से उठे तो देखा वह सो रहा था.
उसका लं*ड मुझे सलामी दे रहा था.
मैंने उसे किस किया और उठकर फ्रेश हुई, ब्रश किया.
फिर नं*गी ही ब्रेकफास्ट बनाया.
उसे उठाया, वह मुझे नं*गी देखकर शर्मा गया.
मैंने कहा- शर्मा मत बहन चो*द … कल रात तूने अपनी इसी बहन की चू*त को चो*द-चो*दकर भो"सड़ा बनाया था!
वह हंसने लगा.
फिर वह भी फ्रेश होकर आया.
हम दोनों ने ब्रेकफास्ट किया.
उसके बाद वह 3 दिन तक मेरे घर था तो मैं 3 दिन नं*गी घूमती रही थी.
उसका जब मन करता, आकर मुझसे खेलने लगता.
कभी मैं किचन में होती तो पीछे से आकर गां*ड दबाने लगता, कभी चूसने लगता, कभी लं*ड डालने लगता.
कभी मैं सोफे पर टीवी देख रही होती तो आकर चू*त चाटने लगता.
मैं अगले दिन सुबह झाड़ू लगा रही थी, उसने चुपके से आकर पीछे से बिना बताए मेरी चू*त में अपना लौ*ड़ा पेल दिया और कमर पकड़ कर मेरी लेने लगा … उस वक्त डर के मारे तो मेरी जान ही निकल गई थी.
ऐसे ही हम दोनों 3 दिन तक खाते-पीते, मजे लेते हुए चु*दाई करते रहे.
तीन दिन कब बीत गए, पता ही नहीं चला.
फिर सब लोग आ गए, वह अपने घर चला गया.
मैं उसे बहुत मिस कर रही थी.
लेकिन अब जब भी हम मिलते हैं, तो ऐसे ही चु*दाई कर लेते हैं.
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